I. शिक्षक और उनकी जिम्मेदारियाँ
कोई भी व्यक्ति शिक्षक के रूप में नियुक्त होता है तो वह अध्यापकीय गरिमा के अनुरूप अपने आचरण का निर्वहन करता है। शिक्षक सदैव अपने विद्यार्थियों और पूरे समाज की संवीक्षा में रहता है। ऐसे में शिक्षक को यह देखना चाहिए कि उसके कथन और आचरण के बीच कोई विसंगति न हो। राष्ट्रीय आदर्श जो शिक्षा की बुनियादी नींव है उसे विद्यार्थियों के बीच विकसित करने का प्रयास शिक्षक को करना चाहिए। अध्यापकीय गरिमा के अनुरूप यह भी आवश्यक है कि शिक्षक स्वभाव से शांत, धैर्यवान तथा संवादशील हो।
शिक्षक को समाज द्वारा अपेक्षित आचरण और व्यवहार के उत्कृष्ट प्रतिमान का अनुकरण करना चाहिए;
(ii) अध्यापकीय गरिमा के अनुरूप शिक्षक अपने व्यक्तिगत मामलों को सुसंगत तरीके से प्रबंधित करना चाहिए ;
(iii) अध्ययन और अनुसंधान के माध्यम से अकादमिक विकास का निरंतर प्रयास करें ;
(iv) अकादमिक बैठकों, संगोष्ठियों, सम्मेलनों आदि में भाग लेकर निर्बाध और स्पष्ट विचार अभिव्यक्त करें ;
(v)विभिन्न अकादमिक संस्थाओं की सक्रिय सदस्यता बनाए रखे और शिक्षण और अकादमिक -विकास करने का प्रयास करें;
(vi) कर्तव्यनिष्ठता और समर्पण के साथ शिक्षण, ट्यूटोरियल, प्रायोगिक कक्षाएं, संगोष्ठी और शोध कार्य आदि कार्यों का निर्वहन करें , ;
(vii) शिक्षण और अनुसंधान में साहित्यिक चोरी व अन्य अनैतिक व्यवहार में सम्मिलित न हो और ऐसे कृत्यों को हतोत्साहित करें ;
(viii) विश्वविद्यालय के अधिनियम, क़ानून और अध्यादेश के प्रति अडिग रहे और इसके आदर्श, दृष्टिकोण, लक्ष्य, सांस्कृतिक प्रथाएं और परंपरा का सम्मान करें ;
(ix) महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की शैक्षिक जिम्मेदारियों से संबंधित कार्यों को पूरा करने में सहयोग और सहायता करना ; जैसे- प्रवेश के लिए आवेदन पत्र के मूल्यांकन में सहायता करना, छात्रों को सलाह और परामर्श देने के साथ-साथ पर्यवेक्षण, अन्वीक्षण और मूल्यांकन सहित विश्वविद्यालय स्तर और महाविद्यालय के स्तर की परीक्षाओं के संचालन में सहायता करना; और
(x) सामुदायिक सेवा सहित संवृद्धि, सह-पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लें।
2. शिक्षक और विद्यार्थी
विद्यार्थी जब अपनी राय व्यक्त करता/करती है तो;शिक्षक को:
(i)विद्यार्थी के अधिकार और मर्यादा का सम्मान करना चाहिए
(ii) विद्यार्थी के साथ उनके धर्म, जाति, लिंग, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक विशेषताओं का सम्मान करते हुए न्यायपूर्ण और निष्पक्ष व्यवहार करना चाहिए,;
(iii) विद्यार्थी की योग्यता और क्षमता के अंतर को पहचान कर उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए;
(iv) शिक्षक को अपने विद्यार्थी की उपलब्धि और व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर सामुदायिक कल्याण में योगदान देना चाहिए ;
(v) विद्यार्थियों में वैज्ञानिक चेतना, पृच्छा की भावना , लोकतान्त्रिक मूल्य, देशभक्ति, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और शांति के आदर्श स्थितियों को विकसित करें;
( vi) विद्यार्थियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और किसी भी स्थिति में उनके प्रति प्रतिशोधपूर्ण व्यवहार न करें;
(vii) योग्यता के मूल्यांकन में विद्यार्थी की ग्राह्यता पर ध्यान दें;
(viii) ) अपने कक्षा के बाद भी विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध रहें और बिना किसी प्रति-प्राप्ति के विद्यार्थियों की सहयोग और उनका मार्गदर्शन करें;
(ix) विद्यार्थियों को हमारी राष्ट्रीय विरासत और राष्ट्रीय लक्ष्यों की समझ विकसित करने में सहायता करें; और
(x) विद्यार्थियों को अन्य छात्र-छात्राओं, सहकर्मियों या प्रशासन के खिलाफ प्रवृत्त होने से रोकें ।
3. शिक्षक और सहकर्मी
शिक्षकों को चाहिए:
(i) के अन्य सदस्यों के साथ उसी तरह व्यवहार करें जैसा वे स्वयं के साथ चाहते हैं |;
(ii) अन्य शिक्षकों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और अकादमिक उत्कृष्टता में सहयोग करें ;
(iii) उच्च अधिकारियों के समक्ष सहकर्मियों के विरुद्ध निराधार आरोप लगाने में प्रवृत न हों ; और
(iv) जाति, पंथ, धर्म, नस्ल या लिंग आधारित आचरण से बचें ।
4. शिक्षक और प्रशासन
शिक्षक को:
(i) वर्तमान नियमानुसार अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करना चाहिए और अपने संस्थागत विभागों / अकादमिक संगठनों के अनुरूप प्रक्रियाओं और तरीकों का पालन करना चाहिए ; अपने व्यावसायिक हित के लिए ऐसे किसी भी नियम में परिवर्तन के प्रयास से बचना चाहिए| ;(ii) निजी ट्यूशन और कोचिंग कक्षाओं सहित किसी भी अन्य रोजगार अथवा उत्तरदायित्व को लेने से बचना चाहिए, जिससे उनके पेशेगत उत्तरदायित्व में हस्तक्षेप की संभावना होती हो ;
(iii) संस्थान की नीतियों के निर्माण में सहयोग करें और संस्थान के मांग के अनुसार जिम्मेदारियों का निर्वहन करें,
(iv) अपने संस्थान के माध्यम से अन्य संस्थानों, जिन्हें कार्यालय स्वीकार करें, उनकी नीतियों के निर्माण में सहयोग करें ;
(v) संस्थान की उत्कृष्टता और हित को ध्यान में रखते हुए अध्यापकीय गरिमा के अनुरूप अधिकारियों के साथ सहयोग करें;
(vi) अनुबंध की शर्तों का पालन करें;
(vii) अपेक्षित रूप से किसी भी अन्य पद ग्रहण से पूर्व सम्यक रूप से सूचित करना चाहिए, ; और
(viii) विशेष/शैक्षणिक दायित्व को पूरा करने के लिए जहां तक संभव हो अपरिहार्य कारणों को छोड़कर बिना पूर्व सूचना के छुट्टी लेने से बचना चाहिए।
5. शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक सदस्य
शिक्षक को
(i) सभी शैक्षणिक संस्थानों में गैर-शैक्षणिक सदस्य के साथ बराबरी और सम्मान का व्यवहार करना चाहिए
(ii) संयुक्त-स्टाफ कौंसिल जिसमे शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक दोनों सदस्य शामिल हों , के कार्यों में सहायता करें ।
6. शिक्षक और अभिभावक
शिक्षक से अपेक्षा है कि :
(i) शैक्षणिक विभागों और संगठनों के माध्यम से यह देखने का प्रयास करें कि महाविद्यालय अपने विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के साथ संपर्क बनाए रखे ताकि जब भी आवश्यक हो, अभिभावकों को विद्यार्थी के मूल्याङ्कन की रिपोर्ट भेजें और संस्थागत हित को ध्यान में रख कर बुलाई गई बैठकों में अभिभावक और संस्थान परस्पर आदान-प्रदान करें ।
7. शिक्षक और समाज
शिक्षक :
(i) स्वीकार करें कि शिक्षा एक जन-सेवा है औरअपने शैक्षिक कार्यक्रमों के बारे में जनता को जागरूक करने का प्रयास करें;;
(ii) समाज को शिक्षित कर उसके नैतिक और बौद्धिक जीवन को सशक्त करने के लिए कार्य करना चाहिए ;
(iii) सामाजिक समस्याओं के प्रति सजग रहें और ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लें जिससे विशेषतः समाज का एवं समग्रतः देश का विकास हो । ;
/>(iv) नागरिक के कर्तव्यों का पालन करते हुए सामुदायिक गतिविधियों में भाग लें और वैधानिक और नैतिक कर्तव्यों का पालन करे; ((v) ऐसी गतिविधियां, जो विभिन्न समुदायों, धर्मों या भाषाई समूहों के बीच घृणा या शत्रुता की भावना को बढ़ावा देती हैं, उनमें भाग लेने या किसी भी तरह से सहायता करने से बचें | राष्ट्रीय एकता के लिए सक्रिय रूप से कार्य करें ।