Ramanujan College

University Of Delhi

NAAC Grade A++ with CGPA 3.71

रामानुजन महाविद्यालय

दिल्ली विश्वविद्यालय

सीजीपीए 3.71 . के साथ एनएएसी ग्रेड ए++

दर्शनशास्त्र विभाग

अनुशासनों में दर्शनशास्त्र सबसे प्राचीन है। यह सभी अनुशासनों की जननी भी है। यह सुकरात के दर्शन का सार स्वरूप है कि इस जीवन को जाने बिना जीना व्यर्थ है।

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हवा में उड़ने वाला पत्ता बस हवा के साथ चलता है वह नहीं पूछता कि 'क्यों '? दूसरी ओर जानते-बूझते हुए जीवन जीना या दर्शनशास्त्र जानना दरअसल यह पूछना है कि क्यों ? यह हमारे आस-पास की दुनिया की कार्यविधि, हमारे अपने मन और स्वयं के बारे में, हमारे और हमारी दुनिया के बीच संबंध के बारे में ज्ञान प्राप्त करना है। समय के साथ कुछ प्रश्न और उत्तर अपने-अपने क्षेत्र में उठते हैं और एक नए विज्ञान का जन्म होता है। दर्शनशास्त्र के साथ जो प्रश्न अनिवार्य रूप से संलग्न है, वे अनुभवजन्य ,कठिन और महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं, जैसे अस्तित्व क्या है, ज्ञान क्या है, हमें कैसे कार्य करने चाहिए, हम स्वयं के कार्यों का निर्णय कैसे करें , आदि।

आज की दुनिया में जब प्रौद्योगिकी ने हमें दुनिया भर में बेलगाम शक्ति प्रदान कर दी है तो ऐसा लग सकता है कि दर्शनशास्त्र के लिए अब कोई जगह नहीं है। ऐसा प्रतीत हो सकता है कि हमारे पास वह सब कुछ है जिसकी हमें आवश्यकता है और भविष्य की किसी भी आवश्यकता या इच्छा को पूरा करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी ही पर्याप्त है लेकिन हमारी सफलताएं ही हमारे लिए जब दूरगामी खतरा पैदा करती हैं, तब हमें दर्शनशास्त्र की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। वैज्ञानिक ज्ञान और तकनीकी कौशल के माध्यम से वांछित लक्ष्यों तक जाने के लिए भी हमें अपने लक्ष्यों की तर्कसंगिकता की पड़ताल करनी चाहिए |

हालाँकि दर्शनशास्त्र सभी विषयों में सबसे पुराना है, लेकिन रामानुजन महाविद्यालय के सभी विभागों में सबसे नया है। दर्शनशास्त्र विभाग 2016 में स्थापित किया गया। यह विभाग भले ही अभी प्रारंभिक अवस्था में है लेकिन हम अपने विद्यार्थिओं को परिपक्वता, तार्किकता और दूरदर्शिता प्रदान करने का प्रयास करते हैं। न केवल समाज में रहने के लिए बल्कि उस पर सवाल उठाने के लिए भी। हमारे विद्यार्थियों को उनकी मान्यताओं और उनकी इच्छाओं का आकलन करना सिखाया जाता है। वे स्पष्ट, तर्कसंगत और विश्लेषणात्मक ढंग से सोचना सीखते हैं। वे बिना सोचे-समझे रखी गई धारणाओं पर सवाल उठाना सीखते हैं और उनसे परे उत्तर तलाशना सीखते हैं। इस तरह हम उम्मीद करते हैं कि हमारे विद्यार्थी सिर्फ हवा में उड़ते पत्ते नहीं होंगे, बल्कि वे दुनिया को जिस रूप में पाते हैं, उस पर सवाल उठाना सीखेंगे, हम यह भी उम्मीद करते हैं कि आवश्यकतानुसार वे इसे उसी तरह से सीखेंगे, जिस तरह से उन्हें बनाना चाहिए।